क्या फ़र्क़ पड़ेगा यार, आ जाए किसकी भी सरकार,
ख़ुद नहींं बदलोगे जब तक ,नहीं मिटेगा भ्रष्टाचार,
महँगाई बढ़ती जाएगी,एक दुनी दो, दो दुनी चार,
सब के सब बातों के शेर है, भाषणों में ही गुंजती है इनकी दहाड़,
रिज़ल्ट के बाद सब खोलेंगे बोटल, आख़िर है तो एक दुसरे के रिश्तेदार,
५६ इंच की छाती हो, या सेक्युलरीज़म का आचार,
या धरना बाबा आ जाए, लेकर झाड़ु हज़ार,
कोई भी आ जाओ सत्ता में, अपनी माँगे है बस चार,
के बिना रिश्वत सभी को दिलवादो,रोटी, शिक्षा, मकान, रोज़गार,
हमें अपने झमेलों में मत घसीटों, मत तोड़ो भारत का परिवार…
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